बलो की साम्यावस्था ( Equilibrium of force )
बलो की साम्यावस्था ( Equilibrium of force )
साम्यावस्था का तात्पर्य - संतुलन से है
किसी वस्तु या पिण्ड ( Body ) की स्थिति में परिवर्तन लाने के लिए यही हम कोई भी कार्य करते है और वस्तु की स्थिति में परिवर्तन न हो अर्थात किया गया कार्य शून्य हो तो हम कहते है की वस्तु या पिण्ड (Body) संतुलन या साम्यवस्था में है।
Definition ( परिभाषा ) - " जब किसी पिण्ड पर दो या दो से अधिक बल इस प्रकार कार्य करे की वे एक दूसरे के प्रभाव को निष्फल (Neutralise ) या निष्क्रिय कर दे। ,
अर्थात बलो का पिण्ड पर सम्मिलित प्रभाव शून्य ( Zero ) हो जाये तो वे बल साम्यावस्था या सन्तुलन में कहलाते है।
दूसरे शब्दों में कहे तो " यदि पिण्ड पर कार्य करने वाले बलो का परिणामी (Resultant ) शून्य ( R = 0) है , तो
वे बल सन्तुलन में या साम्यावस्था में कहलाते है।
उदाहरण - सन्तुलित बल , पिण्ड पर अपना कोई भी प्रभाव उत्पन्न नहीं करते जिसकी वजह से ,
यदि पिण्ड या वस्तु स्थिर है तो साम्यावस्था में भी स्थिर ही रहेगा और गति में होगा तो वह अपनी गति की दिशा भी बनाये रहेगा।
इस उदाहरण को हम साम्यावस्था की प्रकार भी समझ सकते है
अब हमे बलो की साम्यावस्था से संबधित नियम क्या है कहा लागु होंगे ये नियम पुरे विस्तार से हम जान सकते है तो
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